Gandhiji-Jugatram Dave-Hindi (गांधीजी-जुगतराम दवे-हीन्दी)
About The Book
१९२९ में गुजराती मेँ सर्वप्रथम प्रकाशित यह पुस्तक गुजराती बालकों ने खूब पढ़ा। इसी कारण नवजीवन ट्रस्ट ने १९४१ में इसका हिन्दी संस्करण प्रकाशित किया जो की काशीनाथ त्रिवेदी ने अनुवादित किया था। तब से लेके आज तक इस पुस्तक की लाखों नकलें बिक चूकी हैं। आशा है भारत का बालगण इसे उतने ही उत्साह और उमंग के साथ पढ़ेगा जैसा वह उन दीनों पढ़ता था। गांधीजी की सरल जीवनी होने के कारण इसे कई परीक्षाओं के अभ्यासक्रम में समाविष्ट किया गया है। इस वजह से यह पुस्तक नवजीवन ट्रस्ट की ओरसे रियायत दर से प्राप्य है।